
नई दिल्ली: बात साल 1965 की है जब सोनिया ब्रिटेन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी की पढ़ाई कर रहीं थीं. राजीव गांधी भी कैंब्रिज पढ़ने गए थे. वह पूर्व राजनयिक टीएन कौल के बेटे दीप कौल के साथ अपार्टमेट शेयर करते थे. सोनिया गांधी भी एक पेइंग गेस्ट के तौर पर रहती थीं. एक दिन जब सोनिया गांधी का इटालियन फूड खाने का मन बना तो वे इटालियन फ़ूड की तलाश में निकल पड़ीं. उनकी यह तलाश उन्हें सेंट एंड्रयू रोड स्थित एक ग्रीक रेस्टोरेंट तक ले आई. वार्सिटी नामक इस रेस्टोरेंट के मालिक चार्ल्स एंटोनी राजीव गांधी के अच्छे दोस्त बन चुके थे. हर दिन कैंब्रिज के छात्र इस रेस्टोरेंट पर खाने-पीने के लिए जुटते थे और मौज-मस्ती करते थे. उस दिन जब सोनिया इस रेस्टोरेंट पर पहुंची तभी राजीव गांधी भी लंच करने पहुंचे थे. इस दौरान एक दोस्त ने राजीव गांधी का सोनिया गांधी से परिचय कराया. लव एट फर्स्ट साइट यानी की राजीव को पहली नजर में ही सोनिया से प्यार हो गया. राजीव गांधी सोनिया को दिल दे बैठे. उस वक्त सोनिया के साथ उनकी पाकिस्तानी दोस्त ताहिर जहांगीर भी थीं.
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जब राजीव ने नैपकिन को ही बना दिया लव लेटर
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई की दिसंबर, 2003 में आई 'सोनिया- ए बॉयोग्राफी' नामक किताब में जहांगीर के हवाले से उस रोज का वाकया कुछ यूं बयान किया गया है, "जैसे ही राजीव गांधी के टेबल के पास से होकर सोनिया गांधी गुजरीं तो अचानक दोस्तों से बातचीत में मशगूल राजीव गाँधी एकदम शांत हो गए और किसी अनजाने ख्याल में खो गए. मैने देखा कि राजीव ने तुरंत नैपकिन उठाई और उसी पर पेन से कविता लिखने लगे. पूरे जज्बात उन्होंने नैपकिन पर ही उकेर दिए. यह कविता सोनिया के लिए उनके दिल में पनपे प्रेम की उनकी तीव्र अभिव्यक्ति रही. फिर राजीव गांधी ने अपने रेस्टोरेंट मालिक व दोस्त चार्ल्स से मदद मांगते हुए कहा कि वह एक वाइन की बोतल के साथ कविता लिखी नैपकिन को सोनिया गांधी तक पहुंचा दें." बस यहीं से राजीव गांधी और सोनिया के प्यार की शुरुआत हो गई. पहली नजर में सोनिया ने भी राजीव गाँधी को पसंद कर लिया. तब सोनिया को यह पता नहीं था कि राजीव भारत के सबसे बडे़ राजनीतिक गांधी परिवार से नाता रखते हैं. नौ दिसंबर 1946 को जन्मी इटली के ओर्बसानो में जन्मीं सोनिया गांधी यूं तो स्पैनिश और रशियन की अच्छी जानकार थीं और फ्रेंच भी काफी अच्छी बोलतीं थी, पर अंग्रेजी सीखने के मकसद से कैंब्रिज में पढ़ाई करने पहुंचीं थीं. पेशे से सैनिक रहे पिता स्टेफिनो मायनो ने पैसे की व्यवस्था कर उन्हें कैंब्रिज अंग्रेजी पढ़ने के लिए भेजा था.
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पिता ने शादी के लिए रख दी कठिन शर्त
अपनी किताब में राशिद किदवई लिखते हैं कि कैंब्रिज के दिनों में राजीव और सोनिया गांधी एक साथ वक्त बिताने के लिए अक्सर फिल्में देखने जाया करते थे. पहली मूवी उन्होंने सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली देखी थी. राजीव गांधी से गहरी दोस्ती होने के बाद सोनिया ने अपने पिता स्टेफिनो मायनो को उनके बारे में जानकारी दी. पर सोनिया के पिता उनकी इस दोस्ती से खुश नहीं हुए. भले ही सोनिया गांधी के पिता कभी भारत नहीं आए थे, मगर उन्हें भारत के राजनीतिक हालात डराते थे. एक तो राजनीतिक गांधी परिवार और दूर देश में बेटी के रिश्ते को लेकर सोनिया के पिता के मन में कई आशंकाएं पनप रहीं थीं. डेटिंग के एक साल बाद ही राजीव गांधी सोनिया के घरपहुँच गए थे और बिना किसी लाग-लपेट के उन्होंने पिता से सोनिया का हाथ मांग लिया था. मगर सोनिया के पिता ने शर्त रखी कि शादी की बात तभी मानेंगे,जब दोनों एक साल तक एक दूसरे से नहीं मिलेंगे और इसके बाद भी अगर दोनों को लगेगा कि वह एक दूजे के बिना नहीं रह सकते तभी शादी की अनुमति मिलेगी. एक साल अलग रहना सोनिया और राजीव के लिए काफी मुश्किल था. मगर उन्होंने एक साल का वक्त भी काटा. दूर रहने पर उनके दरमियान प्यार और गहरा हो गया. इसके बाद सोनिया के पिता के पास दोनों के रिश्ते को स्वीकार करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा.
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लंदन में पहली बार सोनिया से मिलीं इंदिरा
राजीव गांधी उन दिनों अपनी मां इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर सोनिया के बारे में बताया करते थे . इंदिरा गांधी ने उनसे एक दिन कहा कि वह लंदन में जवाहर लाल नेहरू से जुड़ी प्रदर्शनी में शिरकत करने आएंगी. इस दौरान उन्होंने सोनिया से मुलाकात करने की इच्छा जताई . लंदन में भारतीय उच्चायुक्त के आवास पर दोनों की मीटिंग तय हुई. इंदिरा ने उस दिन सोनिया से फ्रेंच में बात की. बकौल सोनिया गांधी, " उन्होंने फ्रेंच में बात की. क्योंकि अंग्रेजी की तुलना में मेरी फ्रेंच धाराप्रवाह रही.वह मेरे बारे में और पढ़ाई के बारे में जानने को उत्सुक थीं. इस दौरान इंदिरा ने उनसे कहा कि वह बिल्कुल भी डरें मत. क्योंकि वह खुद अपनी युवावस्था में प्रेम कर चुकीं हैं.
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