झूठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया शर्मिंदा।

Image result for narendra modiनमस्कार दोस्तों,

दोस्तों, नरेंद्र मोदी भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो हर वक़्त  सुर्ख़ियों में बने रहते हैं। हालांकि उनकी इन सुर्ख़ियों की वजह उनके काम नहीं बल्कि भाषण के दौरान गलत बयानों को लेकर होता है। उन्होंने पिछले पांच सालों में भारत के इतिहास और इतिहास पुरुषों के बारे में कई गलत जानकारी अपने भाषण के माध्यम से देश की जनता को परोसा है। मोदी जी के झूठे बयानों और झूठे दावों का सिलसिला लगातार जारी है। उनकी यह गलत भाषणबाजी भारत के प्रधानमंत्री पद की गरिमा को कलंकित करता है। यह बड़े ही शर्म की बात है की वे देश के पढ़े लिखे लोगों के इतिहास, विज्ञान और भूगोल की शिक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी उन अध्यापकों के ज्ञान पर भी प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं जिन्होंने देश की अगली पीढ़ी को अपनी शिक्षा से लाभान्वित किया।

आइए जानते हैं प्रधानमंत्री मोदी के वो कौनसे बयान हैं जिनकी वजह से पूरी दुनिया में भारत का मज़ाक बनाया जा रहा है:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला झूठ : गटर के गैस से बनने वाली चाय।  

प्रधान मंत्री मोदी का जो बयान सबसे पहले सुर्ख़ियों में आया वह था गटर के गैस से चाय बनाने की तकनीक का ज़िक्र। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था की उन्होंने एक ऐसे चाय वाले से मुलाकात की है जो की गटर की गन्दगी से पनपी गैस को इकट्ठा करके चाय बनाने की तकनीक जानता है। उनके इस बयान के बाद देश और दुनिया के विज्ञान के जानकार अपना सिर खुजाने लगे की ऐसा कैसे हो गया। जो काम वैज्ञानिक तरीके से असंभव है यदि उसके सच होने का दावा खुद देश के प्रधानमंत्री करने लगें तो फिर बुद्धिजीवियों का सिर चकराना स्वाभाविक भी है। मोदी जी ने यह दावा अगस्त 2018 में किया था। अपने इस बयान को लेकर पीएम मोदी काफी ट्रोल हुए। कई जानकारों ने कहा की पीएम को बिना तथ्यों की जानकारी के इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए जिससे उनके पद की गरिमा को टेक्सस पहुंचे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा झूठ : जब शहीद भगत सिंह जेल में बंद थे तो कोई भी कांग्रेसी उनसे मिलने नहीं गया था। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक चुनावी रैली में आम जनता को सम्बोधित करते हुए कहा की जब शहीद भगत सिंह को अंग्रेजों ने जेल में बंद किया था तो कोई भी कांग्रेसी नेता उनसे मिलने जेल नहीं गया था। इसी प्रकार स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त पर जब मुकदमा चल रहा था या जब वीर सावरकर अंदमान निकोबार की जेल में बंद थे तब भी उनसे मिलने कोई भी कांग्रेसी जेल में नहीं गया था। अब आपको बता दें की यदि आपने थोड़ा बहोत इतिहास पढ़ा हो या फिर हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारी रखते हों तो आपको यह पता होगा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफ तौर पर झूठ बोल रहे हैं। कांग्रेस के कई नेता न केवल उनसे मिलने गए थे अपितु मिलने के बाद जेल में उनकी हालत पर अपना बयान भी दिया था जिसे मौजूदा मीडिया ने अपने खबर में छापा भी था। प्रोफेसर इरफ़ान हबीब ने अपने किताब " to make the deaf hear" में इस बात का ज़िक्र किया है की जब भगत सिंह जेल में बंद थे तो उस दौरान उनसे कौन कौन मिलने गया था और क्या मुख्य बातें हुई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा बड़ा झूठ : कोणार्क का सूर्य मंदिर 2000 साल पुराना।

अमेरिका दौरे में गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की जनता को सम्बोधित करते हुए देश को शर्मिंदा किया। नरेंद्र मोदी ने भारत के इतिहास से सम्बंधित कई गलत जानकारी दी। उन्होंने विदेश में जाकर भारत कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में यह कहा की वह 2000 साल पुराना है जबकि कोणार्क मंदिर केवल 700 साल पुराना है। अब जरा आप ही सोचिए वहां बैठे किसी इतिहासकार ने क्या सोचा होगा हमारे बारे में कि जिस देश के प्रधानमंत्री तक को अपने इतिहास की सही जानकारी नहीं है, वहां की जनता का ज्ञान कैसा होगा। जिस बात की सही जानकारी नहीं होती क्या उसका गलत ज़िक्र करना प्रधानमंत्री को सोभा देता है।

 नरेंद्र मोदी की कुछ और गलत बयान :

साल 2003 में जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने एक सभा में जनता को सम्बोधित करते वक़्त महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनलाल करमचंद गाँधी कह दिया था जबकि उनका असली नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है।

साल 2013 में पटना की एक रैली में जनता को सम्बोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने बिहार की प्रतिष्ठा का जिक्र करते हुए सम्राट अशोक, पाटलिपुत्र, नालंदा और तक्षशिला का जिक्र किया जबकि सच्चाई यह है की तक्षशिला पहले पंजाब का हिस्सा थी और अब वह पाकिस्तान में है। तक्षशिला का बिहार से कभी कोई नाता रहा ही नहीं।
इसी प्रकार उन्होंने साल 2003 में यह कहा था की आजादी के समय भारत का एक रूपया यूएस के एक डॉलर के बराबर था। जबकि तथ्य यह है कि उस समय एक रुपए की कीमत 30 सेंट के बराबर थी। एक रूपया एक पाउंड के बराबर था। 

साल 2019 में मोदी जी ने इतिहास के साथ साथ विज्ञान की भी धज्जियाँ उड़ाई। 

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया की बदली की वजह से बादलों में छिप गए विमान को पकड़ने में राडार हुआ नाकाम।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी हाल ही में न्यूज़ नेशन नामक एक न्यूज़ चैनल को अपना इंटरव्यू दिया है। मोदी का या इंटरव्यू काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है। उन्होंने बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक दौरान मौसम की खराबी और बादलों पर अपनी जो वैज्ञानिक और सैन्य समझ का मिशाल प्रस्तुत किया वह आज दुनिया भर के न्यूज़ चैनल्स के ख़बरों पर छाई हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस इंटरव्यू में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक का ज़िक्र करते हुए कहा कि वो इस पूरी कार्यवाही को लीड कर रहे थे और सेना को कमांड कर रहे थे। मौसम खराबी की वजह से आसमान में बादल होने के कारण इस मिशन को लीड करने वाले कमांडर ने मिशन को टालने का  फैसला कर लिया था।  साहब ने अपनी सूझबूझ और वैज्ञानिक बुद्धि का परिचय देते हुए कहा की बादलों की ओट में छिप जाने की वजह से हम दुश्मन की राडार से बच सकते हैं इसलिए अभी हमला करना हमारे लिए फायदे मंद रहेगा।

प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद विज्ञान और राडार तकनीक के जानकारों ने पत्थर पर अपना सिर पटकना शुरू कर दिया। मोदी जी के इस बयान के बाद उनकी डिग्री और शिक्षा दोनों पर प्रश्न चिन्ह लग चूका है। सच यह है की राडार कभी भी बादलों के पीछे नहीं छिप सकता बल्कि जब अत्यधिक मौसम ख़राब होता है तो इसी राडार की मदद से विमानों को सुरक्षित लैंडिंग कराइ जाती है। प्रधानमंत्री कि इस अवैज्ञानिक तर्क का पूरी दुनिया में मजाक बन गया है और साथ ही उनकी वजह से भारत को भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है।

साल 1987-88 में पीएम मोदी ने किया पहला ईमेल और डिजिटल कैमरे का इस्तेमाल । 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी हाल ही में दिए अपने एक इंटरव्यू में यह दावा कर रहे हैं की उन्होंने साल 1987-88 में ही सबसे पहले डिजिटल कैमरे का इस्तेमाल किया था और उससे खींची गई फोटो को उन्होंने अटल जी को ईमेल से भेजा था। सोशल मीडिया पर पीएम मोदी का यह इंटरव्यू वाला वीडियो खूब वायरल हो रहा है। पीएम के इस इंटरव्यू वाले वीडियो पर अभिनेता प्रकाश राज ने एक कमेंट भी किया है जो की काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है। प्रकाश राज ने अपने कमेंट में लिखा है की उल्लू बनाने का भी हद होता है भाई।

पीएम मोदी के इस इंटरव्यू का इतना मजाक इसलिए बन रहा है क्योंकि साल 1990 से पहले न तो डिजिटल कैमरे की खोज हुई थी और न ही ईमेल अटैचमेंट सुविधा का। तो फिर प्रधानमंत्री मोदी ने किस डिजिटल कैमरे से फोटो खींची और कैसे उसे ईमेल कर दिया।

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