चुनाव आयोग ने वाराणसी से चुनाव लड़ रहे पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर की उम्मीदवारी ख़ारिज कर दी है। इन्होने पहली बार 24 अप्रैल को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन भरा। फिर 29 अप्रैल को सपा बसपा गठबंधन उम्मीदवार के रूप में दोबारा नामांकन भरा।
नामांकन ख़ारिज किये जाने के बाद तेज बहादुर ने कहा की वे चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। तेज बहादुर ने बताया की उनका नामांकन बिना कोई उचित कारण बताए रद्द किया गया है। गैर क़ानूनी तरीके से उनका नामांकन रद्द किया गया है और वो चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
वाराणसी सीट से नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा सांसद हैं। इस बार भी नरेंद्र मोदी ने यहीं से परचा भरा है। 26 अप्रैल को प्रधान मंत्री मोदी ने वाराणसी से नामांकन भरा है। वाराणसी सीट से ही कांग्रेस के अजय राय और समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव ने भी अपना नामांकन दाखिल किया है।
तेज बहादुर के नामांकन भरने के बाद से ही वाराणसी की जनता से उन्हें भारी मात्रा में जन समर्थन मिल रहा है। उनके नामांकन के रद्द होने को भी वाराणसी की जनता राजनितिक षड़यंत्र बता रही है।
आचार संहिता के उल्लंघन मामले में मोदी जी को चुनाव आयोग बार बार नज़र अंदाज़ कर रहा है। वहीँ तेज बहादुर की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। यह चुनाव आयोग का खुले तौर पर पक्षपात है। जिसे जनता भी अच्छी तरह से समझ रही है।
तेज़ बहादुर के लिए मुश्किलें तब बढ़ी जब जिला निर्वाचन अधिकारी ने 30 अप्रैल को एक नोटिस भेजा। इस नोटिस में उनसे कहा गया की वे बीएसएफ से बर्खास्तगी के कारण का लिखित जवाब लेकर आएं। नोटिस में उन्हें 1 मई 2019 को 11 बजे उपस्थित होने के लिए कहा गया।
तेज बहादुर ने बताया की चुनाव आयोग की तरफ से जिन जिन दस्तावेजों की मांग की गई थी वह हमने तय समय में जमा करा दी थी। इसके बावजूद उनका नामांकन रद्द कर दिया गया जो की असैंवधानिक है।
दोस्तों आपको तेजबहादुर की उम्मीदवारी रद्द किये जाने के पीछे क्या कारण नज़र आता है हमें कमेंट करके जरूर बताएं। हमारे न्यूज़ को फॉलो जरूर करें, धन्यवाद्।
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