
मां दुर्गा के उपासक सभी भक्तों को जय माता दी।
दोस्तों, हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है जहां हर दिन का कोई न कोई धार्मिक महत्व जरूर होता है। हिन्दू धर्म में पुरुष और स्त्री को समान महत्व दिया गया है। हिन्दू धर्म में देवी और देवताओं दोनों को ही पूज्य माना गया है। वहीँ स्त्री को पुरुष से अभी ऊँचा स्थान प्राप्त है क्योंकि स्त्री ही एक मात्र ऐसी शक्ति है जो की अपने गर्भ में एक नए जीवन की रचना करती है और एक बच्चे को जन्म देकर दुनिया को आगे बढ़ाती है। संसार को समय समय पर स्त्री की शक्ति का अहसास कराने के लिए हिन्दू धर्म में देवी के रूप में स्त्री शक्ति की पूजा की जाती है।
साल में दो बार नवरात्रि का व्रत और उपवास किया जाता है जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना नौ रातों तक की जाती है। इसीलिए इसे नवरात्रि भी कहते हैं। पहला चैत्र नवरात्री और दूसरा शारदेय नवरात्रि।
आज 6 अप्रैल 2019 को चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है और हिन्दू नववर्ष का भी पहला दिन है। हिन्दू धर्म में आज के दिन को गुड़ी पड़वा के रूप में भी मनाया जाता है। आज घट स्थापना के साथ ही नौ दिन और नौ रातों तक चलने वाली मां दुर्गा के नौ रुपों की उपासना शुरू हो जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन जगत जननी माँ दुर्गा के नौ रूपों में सर्वप्रथम हिमालय की पुत्री माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की उत्पत्ति की पूरी कथा और उनकी पूजा विधि:
माँ दुर्गा के नौ रूपों में माँ शैलपुत्री को पहला स्वरुप माना गया है। माता के इस स्वरुप को बेहद कल्याणकारी स्वरुप माना गया है। एक पौराणिक कथा के अनुसार इनका जन्म पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ इसी लिए इनका नाम शैलपुत्री के रूप में प्रसिद्ध हुआ। पौराणिक मान्यताओं में वृषभ को माता का वाहन बताया गया है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल एवं बाएं हाथ में कमल का पुष्प दर्शाया गया है। माथे पर चन्द्रमा से सुशोभित हैं। माता अपने भक्तों के रोग व कष्टों को दूर करती हैं। माता शैलपुत्री को पारवती एवं शैलसुता के नाम से भी पुकारा जाता है।
पूजा विधि :
मां शैलपुत्री को सफ़ेद रंग अत्यंत प्रिय है। मां शैलपुत्री को सफ़ेद वस्त्र एवं सफ़ेद पुष्प चढ़ाना अत्यंत शुभ फल दायक होता है। माता सो सफ़ेद बर्फी का भोग लगाना चाहिए। माँ शैलपुत्री की आराधना पुरे विधि विधान से करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है एवं अविवाहित कन्या को उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
माँ शैलपुत्री को प्रशन्न करने के लिए इस विशेष मंत्र का करें जाप :

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