जय माता दी भक्तों।माँ दुर्गा के सभी भक्तों एवं उपासकों को मेरा प्रणाम। दोस्तों आज 7 अप्रैल 2019 का दिन है। चैत्र माह की नौरात्रि का आज दूसरा दिन है। आज के दिन माँ ब्रम्हचारिणी का ध्यान कर उनकी पूजा पूरी विधि विधान से करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं माँ ब्रम्हचारिणी के अवतरण की पूरी कथा और उनकी पूजा की विशेष विधि।
माता ब्रम्हचारिणी के स्वरुप की कथा:
एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान् शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी इस घोर तपस्या के कारण ही उनका नाम ब्रम्हचारिणी पड़ा। नवरात्रि में माँ दुर्गा के जिन नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है उनमे दूसरे दिन माँ ब्रम्हचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। माँ ब्रम्हचारिणी के व्रत और पूजा से उपासक को तप करने की शक्ति मिलती है और साथ ही अनेकों सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
माँ ब्रम्हचारिणी की पूजा विधि:
सबसे पहले अपने हाथों में एक पुष्प लेकर माता ब्रम्हचारिणी का ध्यान करें। माता का ध्यान करने के साथ साथ इस मंत्र का जाप करें :

इस मंत्र के जाप के बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं और पुष्प, अक्षत, कुमकुम एवं सिंदूर अर्पित करें। देवी को सफ़ेद रंग अत्यंत प्रिय है अतः उन्हें सफ़ेद रंग का सुगन्धित पुष्प अर्पित करें साथ ही इन मंत्रों जाप करें :
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रम्हचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रम्हचारिण्यनुत्तमा।।
इन मन्त्रों के जाप के बाद देवी माँ को प्रसाद चढ़ाएं और आचमन कराएं। माता को पान सुपारी भेंट करें और तीन बार अपनी जगह पर परिक्रमा करें। परिक्रमा के बाद घी व कपूर का दीपक जलाकर माता की आरती करें। आरती सम्पन होने के बाद माता से छमा प्रार्थना कर प्रसाद वितरण करें।
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