नमस्कार दोस्तों,
दोस्तों, जैसा की हम सभी जानते हैं की मौजूदा सरकार ने अपने कार्यकाल के पांच साल पुरे कर लिए हैं और चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2019 के तिथियों की घोषणा भी कर दी है। पहले चरण के चुनाव अगले दो दिनों में शुरू भी हो जायेंगे। ऐसे में लगभग हर बड़ी राजनितिक पार्टी अपना एक एक कदम फूंक फूंक कर रख रही है।
वर्तमान समय में जब किसी भी पार्टी सदस्य का एक भी गलत बयान या कदम उसकी पार्टी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। ऐसे समय में भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य माननीय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने अपने ब्लॉग के माध्यम से नाराजगी भरे लहजे में जिस प्रकार पार्टी को लेकर अपना अनुभव साझा किया है उससे बीजेपी की पोल खुलती दिख रही है। गुरुवार को आडवाणी जी द्वारा अपने इस ब्लॉग को पोस्ट किये जाने के बाद से जहां एक और मोदी और अमित साह डैमेज कण्ट्रोल करने में लगे हैं वहीं सभी विपक्षी दलों ने लालकृष्ण आडवाणी के बहाने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है।
लगभग 500 शब्दों के अपने इस ब्लॉग में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है। साथ ही बीजेपी की मूल विचारधारा को व्यक्त करते हुए नरेंद्र मोदी और अमितशाह पर तंज़ कसा है। उनके इस ब्लॉग स्पष्ट होता है की जिस तरह इनके जीवन भर के त्याग, समर्पण और परिश्रम को अनदेखी कर उन्हें राजनीति से जबरन बेदखल कर दिया गया उससे वे बहोत आहात हैं। अपने ब्लॉग में आडवाणी जी ने मौजूदा बीजेपी के काम काज के तौर तरीकों पर सवाल उठाया है। श्री आडवाणी जी ने लिखा है की बीजेपी ने आज से पहले कभी भी अपने राजनितिक विरोधियों को दुश्मन नहीं माना। विपक्ष यदि हमसे राजनितिक तौर पर असहमत है तो उसे देशद्रोही नहीं कहा।
आडवाणी जी के इस पोस्ट के बाद मोदी जी ने आडवाणी जी के बात को कवर अप करते हुए ट्वीट किया की आडवाणी जी ने बीजेपी की मूल भावना के बारे में लिखा है। यह देखकर बहोत बुरा लगता है की किसी समय में पार्टी के मजबूत आधार स्तम्भ रहे और हमेशा पार्टी हित के लिए मार्गदर्शन करने वाले का आज जब बुरा वक़्त आया तो उनका साथ देने के लिए पार्टी का एक भी शख्स सामने नहीं आया।
वक्त की विडम्बना देखिए की एक समय आडवाणी जी के ही अध्यक्ष कार्यकाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने जिस दाढ़ी वाले दुबले पतले शख्स को पार्टी में भेजा था और जिस शख्स ने अटल बिहारी वाजपाई जी के कार्यकाल में एक प्रचारक की भूमिका निभाई थी। उसी नरेंद्र दामोदर दास मोदी जिसकी आडवाणी जी ने हर वक़्त संरक्षण किया और जिन्हे मोदी जी ने हमेसा अपना राजनीतिक गुरु कहकर सम्बोधित किया आज उनकी पीड़ा सुनंने व समझने के लिए कोई नहीं है। नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी नहीं।
आइए जानते हैं की आडवाणी जी ने अपने ब्लॉग में क्या लिखा है :
आडवाणी जी ने लिखा है कि," भारतीय लोकतंत्र का मूलमंत्र विविधता का सम्मान और अभिव्यक्ति की आजादी है।" आडवाणी जी की ये बात बीजेपी के उन मूल सिद्धांतों की याद दिलाती है जो आज कहीं खो सी गई है और इन सिद्धांतों का पालन करने वालों को पार्टी पर बोझ समझकर उन्हें बेदखल कर दिया जाता है। अंत में उन्होंने यह भी लिखा कि "लोकतंत्र और लोकतान्त्रिक मुद्दों की रक्षा" पार्टी का मूलमंत्र रहा है और चुनाव के समय पार्टी की फंडिंग पर परतदेर्शिता लाना काफी समय से पार्टी की प्राथमिकता रही है।
अब शायद ही इतना नासमझ होगा जो यह न समझ सके की आडवाणी जी के ये शब्द मोदी और अमित शाह के लिए हैं। आडवाणी जी का यह संदेश उन तौर तरीकों का विरोध है जिन तौर तरीकों से अमित शाह और मोदी जी इस पार्टी का संचालन कर रहे हैं।
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