नमश्कार दोस्तों,
दोस्तों, भारत देश अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। यदि आप कोई भी भारतीय कैलेंडर देखें तो आपको पता चलेगा की भारत में हर एक दिन कोई न कोई व्रत या त्यौहार जरूर होता है। धरती पर प्राकृतिक सौन्दर्य बिखेरने और धरती का श्रृंगार करने वाले बसंत ऋतु का आगमन हो चूका है। बसंत ऋतु की पंचमी को बसंतपंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का हिन्दू धर्म में खास महत्व है, बसंत पंचमी के दिन मान सरस्वती की पूजा की जाती है। इस वर्ष फ़रवरी की 10 तारीख दिन रविवार को बसंत पंचमी है। बसंत पंचमी के दिन सभी स्कूलों एवं घरों में माँ सरस्वती की पूजा होती है। जो लोग शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं या संगीत से जुड़ी किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं उन सभी के लिए बसंत पंचमी बहोत खास महत्व होता है।
आपको बता दें की इस दिन को प्रेम के देवता कामदेव की भी पूजा की जाती है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत को कामदेव का घनिष्ठ मित्र माना जाता है इसीलिए बसंतपंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह स्नान करके घर एवं पूजा स्थल को सुगन्धित एवं रंग बिरंगे पुष्प से सजाया जाता है। सर्वप्रथम भगवान गणेश की स्तुति करते हैं तत्पश्चात माँ सरस्वती एवं गणेश की पूजा की जाती है। सरस्वती पूजा के बाद बसंत के सौंदर्य की प्रशंसा करते हुए देवी रति एवं कामदेव की पूजा की जाती है।
बसंत पंचमी के दिन भगवन विष्णु एवं शिव की पूजा का भी महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा को शुद्ध जल या दूध से स्नान कराकर उन्हें पिले वस्त्र बी पहनाते हैं तत्पश्चात विधिवत तरीके से या फिर पंडित की सलाह से भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। बसंत पंचमी के दिन भारत के स्कूलों में बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाती है। स्कूल प्रशासन द्वारा इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन का उद्देश्य होता है की बच्चों के भीतर की छुपी हुई प्रतिभा को पहचानकर निखारा जा सके और मंचीय प्रस्तुति के लिए उन्हें अभ्यस्त किया जा सके।
दोस्तों यदि आप सभी मेरे द्वारा दी गई इस जानकारी से सहमत हैं तो मुझे फॉलो और इस आर्टिकल को लिखे करना न भूलें. साथ ही अपना कीमती विचार हमें कमेंट करके जरूर बताएं, धन्यवाद्।
दोस्तों, भारत देश अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। यदि आप कोई भी भारतीय कैलेंडर देखें तो आपको पता चलेगा की भारत में हर एक दिन कोई न कोई व्रत या त्यौहार जरूर होता है। धरती पर प्राकृतिक सौन्दर्य बिखेरने और धरती का श्रृंगार करने वाले बसंत ऋतु का आगमन हो चूका है। बसंत ऋतु की पंचमी को बसंतपंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का हिन्दू धर्म में खास महत्व है, बसंत पंचमी के दिन मान सरस्वती की पूजा की जाती है। इस वर्ष फ़रवरी की 10 तारीख दिन रविवार को बसंत पंचमी है। बसंत पंचमी के दिन सभी स्कूलों एवं घरों में माँ सरस्वती की पूजा होती है। जो लोग शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं या संगीत से जुड़ी किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं उन सभी के लिए बसंत पंचमी बहोत खास महत्व होता है।
आपको बता दें की इस दिन को प्रेम के देवता कामदेव की भी पूजा की जाती है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत को कामदेव का घनिष्ठ मित्र माना जाता है इसीलिए बसंतपंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह स्नान करके घर एवं पूजा स्थल को सुगन्धित एवं रंग बिरंगे पुष्प से सजाया जाता है। सर्वप्रथम भगवान गणेश की स्तुति करते हैं तत्पश्चात माँ सरस्वती एवं गणेश की पूजा की जाती है। सरस्वती पूजा के बाद बसंत के सौंदर्य की प्रशंसा करते हुए देवी रति एवं कामदेव की पूजा की जाती है।
बसंत पंचमी के दिन भगवन विष्णु एवं शिव की पूजा का भी महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा को शुद्ध जल या दूध से स्नान कराकर उन्हें पिले वस्त्र बी पहनाते हैं तत्पश्चात विधिवत तरीके से या फिर पंडित की सलाह से भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। बसंत पंचमी के दिन भारत के स्कूलों में बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाती है। स्कूल प्रशासन द्वारा इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन का उद्देश्य होता है की बच्चों के भीतर की छुपी हुई प्रतिभा को पहचानकर निखारा जा सके और मंचीय प्रस्तुति के लिए उन्हें अभ्यस्त किया जा सके।
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