नमस्कार दोस्तों,
दोस्तों, जीवन में आने वाली उतार-चढाव, हार-जीत, आशा-निराशा, कामयाबी और नाकामी ये सभी इंसान के जीवन का एक अहम् हिस्सा है। इनमे से कुछ भी हमेसा नहीं रहता। न तो खुशी हमेसा रहती है और न ही गम। हम जीवन के हम इम्तेहान में सफल हों जरुरी नहीं इसका दूसरा मतलब यह भी है की हमें हमेसा हार का ही सामना नहीं करना पड़ेगा और हम जीवन के कुछ इम्तेहानों में सफल भी होंगे।
दोस्तों जीवन में कुछ मोड़ ऐसे भी आते हैं जब इंसान अपने जीवन के संघर्ष में लगातार मिल रही असफलताओं से मानसिक अवसाद म चला जाता है और कई बार तो अपना यह कीमती जीवन भी ख़त्म करने की गलती कर बैठता है। पर ऐसा करने वाला शख्स यह भूल जाता है की मनुष्य के जीवन में कोई भी उपलब्धि या नाकामी स्थिर नहीं रहने वाली। परिवर्तन ही समय का एकमात्र स्थाई भाव है। पर अपनी असफलताओं से मानसिक अवसाद झेल रहा व्यक्ति इस सत्य को समझ नहीं पाता और कुछ ऐसा कर बैठता है जिसे कभी भी सही नहीं कहा जा सकता।
यदि जीवन में कभी भी इस तरह की निराशा जनक परिस्थितियों का सामना करना पड़े तो हमारी हिंदी सिनेमा जगत की इन पांच फिल्मों को एक बार जरूर देख लेना चाहिए। क्योंकि ये फिल्मे सत्य के बेहद करीब हैं और इंसान को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा से भर देते हैं। तो आइए जानते हैं इन फिल्मों के बारे में।
1 . गुरु
मणिरत्नम की यह फिल्म गुरु बेहद ही प्रेरणादायी है और हर उम्र के लोगों के भीतर बुझी हुई आग को सुलगा देती है। यह फिल्म यह दर्शाती है की यदि आपका इरादा पक्का हो तो चाहे वक़्त जितना भी लगे पर आप अपने लक्ष्य को प् ही लेते हैं। जब मनुष्य अपने आलोचकों ऊर्जा लेता है और अपनी असफलताओं से सीख लेकर हर बुरी परिस्थिति में अपने लक्ष्य को नहीं भूलता और संघर्ष जारी रखता है तो उसे कामयाबी हर हाल में मिल कर ही रहती है। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय का अभिनय देखने लायक है और हर किसी को प्रेरणा से भर देती है।
2 . थी इडियट्स
चेतन भगत के लिखे उपन्यास पर आधारित यह फिल्म तीन दोस्तों की कहानी पर आधारित है। इस फिल्म में दिखाया गया है की यदि आप कामयाब होना चाहते हो तो अपना रास्ता खुद ही चुनना पड़ेगा। दूसरे के बताये रास्तों पर चल कर आप यदि कामयाब हो भी गए तो वह रास्ता दिखने वाले की मंज़िल होगी न की आपकी। हालांकि जिस काम में आपकी निजी रूचि न हो उसमे आप चाहे जितना भी संघर्ष कर लें पर कामयाब नहीं हो सकते।
यदि आप एक बेहतर क्रिकेटर बनना चाहते हैं पर आप एम् बी बी इस की पढाई कर रहे हैं तो आप न तो डॉक्टर बन पाएंगे और न ही क्रिकेटर। कामयाबी के लिए लक्ष्य साफ़ होना बेहद ही ज़रूरी है। अगर आपके अंदर काबलियत हो तो कामयाबी आपके पीछे भागेगी यह इस फिल्म का मूल मंत्र है। आमिर खान इस फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं।
3 . तारे जमीं पर
यह फिल्म बच्चों के प्रति उनके अभिभावक को जागरूक करती है। यह फिल्म बताती है की दुनिया का हर इंसान डॉक्टर या इंजीनियर बनने के लिए ही पैदा नहीं हुआ है। इनके अलावा भी और भी बहोत से प्रोफेशन है जिसमे इंसान कामयाब हो सकता है। किसी की काबलियत को तीन घंटे के इम्तेहान में मिले मार्क्स से जज नहीं किया जा सकता। बच्चों को उनकी रूचि के अनुरूप मार्गदर्शन मिले तो वे कामयाबी की नई मिशाल कायम करने की छमता रखते हैं। इस फिल्म में आमिर खान एक शिक्षक की भूमिका में हैं।
4 . पैड मैन
अक्षय कुमार और राधिका आप्टे की यह फिल्म दिखती है की कैसे एक शख्स अपने संघर्ष से समाज की छोटी सोच से लड़ते हुए कई बार बेइज्जत होने के बावजूद अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष करना नहीं छोड़ता। क्योंकि इस फिल्म के किरदार को स्वयं के काम पर पूरा विस्वास रहता है और उसे पता होता है की वह जो कार्य कर रहा है उससे महिलाओं की तकलीफ कम होगी और दुनिया की आधी आबादी को इससे लाभ होगा इसलिए वह अपने मकसद से पीछे नहीं हटता। इस फिल्म से प्रेरणा मिलती है की आपका अपने काम के प्रति पूरा विस्वास संकल्प और समर्पण होना जरुरी है।
5 . उड़ान
यह फिल्म भी हमें जीवन में संघर्ष करने और अपने लक्ष्य के प्रति वफादार रहने की सीख देती है। यह फिल्म सिखाती है की कामयाबी के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होती और बिना मेहनत के कोई भी शख्स कामयाबी की उड़ान नहीं भर सकता।
दोस्तों, इसी तरह की और भी रोचक जानकारी के लिए आप इस न्यूज़ को जरूर फॉलो करें एवं अपना कीमती कमेंट जरूर दें, धन्यवाद्।
दोस्तों, जीवन में आने वाली उतार-चढाव, हार-जीत, आशा-निराशा, कामयाबी और नाकामी ये सभी इंसान के जीवन का एक अहम् हिस्सा है। इनमे से कुछ भी हमेसा नहीं रहता। न तो खुशी हमेसा रहती है और न ही गम। हम जीवन के हम इम्तेहान में सफल हों जरुरी नहीं इसका दूसरा मतलब यह भी है की हमें हमेसा हार का ही सामना नहीं करना पड़ेगा और हम जीवन के कुछ इम्तेहानों में सफल भी होंगे।
दोस्तों जीवन में कुछ मोड़ ऐसे भी आते हैं जब इंसान अपने जीवन के संघर्ष में लगातार मिल रही असफलताओं से मानसिक अवसाद म चला जाता है और कई बार तो अपना यह कीमती जीवन भी ख़त्म करने की गलती कर बैठता है। पर ऐसा करने वाला शख्स यह भूल जाता है की मनुष्य के जीवन में कोई भी उपलब्धि या नाकामी स्थिर नहीं रहने वाली। परिवर्तन ही समय का एकमात्र स्थाई भाव है। पर अपनी असफलताओं से मानसिक अवसाद झेल रहा व्यक्ति इस सत्य को समझ नहीं पाता और कुछ ऐसा कर बैठता है जिसे कभी भी सही नहीं कहा जा सकता।
यदि जीवन में कभी भी इस तरह की निराशा जनक परिस्थितियों का सामना करना पड़े तो हमारी हिंदी सिनेमा जगत की इन पांच फिल्मों को एक बार जरूर देख लेना चाहिए। क्योंकि ये फिल्मे सत्य के बेहद करीब हैं और इंसान को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा से भर देते हैं। तो आइए जानते हैं इन फिल्मों के बारे में।
1 . गुरु
मणिरत्नम की यह फिल्म गुरु बेहद ही प्रेरणादायी है और हर उम्र के लोगों के भीतर बुझी हुई आग को सुलगा देती है। यह फिल्म यह दर्शाती है की यदि आपका इरादा पक्का हो तो चाहे वक़्त जितना भी लगे पर आप अपने लक्ष्य को प् ही लेते हैं। जब मनुष्य अपने आलोचकों ऊर्जा लेता है और अपनी असफलताओं से सीख लेकर हर बुरी परिस्थिति में अपने लक्ष्य को नहीं भूलता और संघर्ष जारी रखता है तो उसे कामयाबी हर हाल में मिल कर ही रहती है। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय का अभिनय देखने लायक है और हर किसी को प्रेरणा से भर देती है।
2 . थी इडियट्स
चेतन भगत के लिखे उपन्यास पर आधारित यह फिल्म तीन दोस्तों की कहानी पर आधारित है। इस फिल्म में दिखाया गया है की यदि आप कामयाब होना चाहते हो तो अपना रास्ता खुद ही चुनना पड़ेगा। दूसरे के बताये रास्तों पर चल कर आप यदि कामयाब हो भी गए तो वह रास्ता दिखने वाले की मंज़िल होगी न की आपकी। हालांकि जिस काम में आपकी निजी रूचि न हो उसमे आप चाहे जितना भी संघर्ष कर लें पर कामयाब नहीं हो सकते।
यदि आप एक बेहतर क्रिकेटर बनना चाहते हैं पर आप एम् बी बी इस की पढाई कर रहे हैं तो आप न तो डॉक्टर बन पाएंगे और न ही क्रिकेटर। कामयाबी के लिए लक्ष्य साफ़ होना बेहद ही ज़रूरी है। अगर आपके अंदर काबलियत हो तो कामयाबी आपके पीछे भागेगी यह इस फिल्म का मूल मंत्र है। आमिर खान इस फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं।
3 . तारे जमीं पर
यह फिल्म बच्चों के प्रति उनके अभिभावक को जागरूक करती है। यह फिल्म बताती है की दुनिया का हर इंसान डॉक्टर या इंजीनियर बनने के लिए ही पैदा नहीं हुआ है। इनके अलावा भी और भी बहोत से प्रोफेशन है जिसमे इंसान कामयाब हो सकता है। किसी की काबलियत को तीन घंटे के इम्तेहान में मिले मार्क्स से जज नहीं किया जा सकता। बच्चों को उनकी रूचि के अनुरूप मार्गदर्शन मिले तो वे कामयाबी की नई मिशाल कायम करने की छमता रखते हैं। इस फिल्म में आमिर खान एक शिक्षक की भूमिका में हैं।
4 . पैड मैन
अक्षय कुमार और राधिका आप्टे की यह फिल्म दिखती है की कैसे एक शख्स अपने संघर्ष से समाज की छोटी सोच से लड़ते हुए कई बार बेइज्जत होने के बावजूद अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष करना नहीं छोड़ता। क्योंकि इस फिल्म के किरदार को स्वयं के काम पर पूरा विस्वास रहता है और उसे पता होता है की वह जो कार्य कर रहा है उससे महिलाओं की तकलीफ कम होगी और दुनिया की आधी आबादी को इससे लाभ होगा इसलिए वह अपने मकसद से पीछे नहीं हटता। इस फिल्म से प्रेरणा मिलती है की आपका अपने काम के प्रति पूरा विस्वास संकल्प और समर्पण होना जरुरी है।
5 . उड़ान
यह फिल्म भी हमें जीवन में संघर्ष करने और अपने लक्ष्य के प्रति वफादार रहने की सीख देती है। यह फिल्म सिखाती है की कामयाबी के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होती और बिना मेहनत के कोई भी शख्स कामयाबी की उड़ान नहीं भर सकता।
दोस्तों, इसी तरह की और भी रोचक जानकारी के लिए आप इस न्यूज़ को जरूर फॉलो करें एवं अपना कीमती कमेंट जरूर दें, धन्यवाद्।
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