सिम्बा मूवी रिव्यू : जानिये फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने वाले दर्शकों की राय।

simmbaनमस्कार दोस्तों,
दोस्तों, सिनेमा इंसान के मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन बन चुकी है। अगर मै पुछूं की सिनेमा के शौकीनों को एक फिल्म में किन ख़ास चीजों की तलाश होती है तो शायद आप में से अधिकतर लोग यही जवाब देंगे की फिल्म में बेहतर डांस, एक्शन, बेहतर कॉमेडी तो कुछ लोगों को बेहतर स्टोरी, रोमांस और एक जाबाज़ हीरो  देखना चाहते हैं जो एक साथ 20 - 25 खलनायकों की धुलाई कर सके। 'सिम्बा' दर्शकों की इन सारी मांगों को पूरा करता है।सिम्बा ठीक वैसी ही मूवी है जैसी की हम रोहित शेट्टी की फिल्मों से उम्मीद करते हैं। यह टिपिकल रोहित शेट्टी स्टाइल मूवी है।  यह फिल्म उन दर्शकों को बिलकुल भी निराश नहीं करेगी जो की एक मनोरंजक फिल्म देखना चाहते हैं। पर जो इस फिल्म में अपनी इंटेलिजेंस घुसाएँगे अर्थात जो दिमाग लगाकर फिल्म देखेंगे उन्हें इस फिल्म से निराशा ही हाँथ लगेगी।
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फिल्म की कहानी में कुछ भी नया नहीं है यह ठीक वैसी ही मूवी है जिसमे एक भ्रष्ट पुलिस अफसर अपने साथ हुए किसी हादसे के बाद एक ईमानदार पुलिस अफसर बनने की कोशिश करता है और अपनी ड्यूटी निभाते निभाते जनता की की सेवा करते हुए अपने सभी पुराने पांप धोना चाहता है। फिल्म का नायक सिम्बा उर्फ़ भालेराव ( रणवीर सिंह )एक अनाथ लड़का है जिसने अपने बचपन से यह सीखा की इस दुनिया में यदि पैसा कमाना है तो उसके लिए पावर होना बहोत जरुरी है। यही वजह है की वह पुलिस अफसर बनाना चाहता है ताकि पुलिस की पावर का इस्तेमाल करके भ्रष्ट तरीके से ढेर सारा पैसा कमा सके। नाईट स्कूल में पढ़-लिखकर  सिम्बा एक भ्रष्ट पुलिस अफसर  बन जाता है जो की बेईमानी भी पूरी ईमानदारी से करता है।

वर्दी पहनकर जब वह काम पर निकलता है तो उसके दिमाग में केवल एक ही लक्ष्य होता है की चाहे तरीका कोई भी हो पर पैसे ढेर सारे कमाना है। पैसे कमाने के इसी जूनून के साथ उसका तबादला गोवा में हो जाता है। सिम्बा को अपने इस तबादले से बहोत खुशी होती है की गोवा जैसे शहर में वह क्रिमिनलों से ढेर सारा पैसा कमा सकता है। पर यहां हुए एक हादसे से उसकी पूरी ज़िन्दगी और जीने का नज़रिया दोनों ही बदल जाता है।
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गोवा पहुंचकर सिम्बा की मुलाक़ात फिल्म की नायिका शगुन (सारा अली खान ) से हो जाती है। शगुन  भी सिम्बा की ही तरह अनाथ है और अपनी आजीविका के लिए केटरिंग का काम करती है। दोनों के बीच प्यार हो जाता है। यहाँ उसे आकृति नाम की एक मुँह बोली बहन भी मिलती है और ईमानदार पुलिस वाले के रूप में दो साथी भी। ईमानदार हेड कांस्टेबल मोहिते ( आशुतोष राणा)  और संतोष तावड़े ( सिद्धार्थ जाधव ) इस फिल्म में एक ईमानदार पुलिस अफसर और सिम्बा के अच्छे दोस्त के किरदार में नज़र आ रहे हैं। इन सभी के साथ रहते हुए  सिम्बा को परिवार का अहसास होता है और एक इंसान के लिए परिवार की अहमियत समझ में आती है।  साथ सिम्बा का सामना गोवा के सबसे बड़े डॉन धुर्वा रानाडे ( सोनू सूद ) से होता है। धुर्वा रानाडे एक फैमिली में रहते हुए भी हर तरह के अवैध कारोबार में लिप्त है। क्योंकि सिम्बा एक भ्रष्ट पुलिस अफसर है इसलिए ध्रुवा रानाडे सिम्बा का मुँह पैसों से बंद कर देता है और अपना हर कारोबार निडर होकर चलाता है। पर फिल्म की कहानी में तब ट्विस्ट आता है जब सिम्बा की मुँहबोली बहन आकृति के साथ दुराचार करके उसकी बेरहमी से हत्या कर दी जाती है। अगर मैं आपको फिल्म की पूरी कहानी बता दूंगा तो आपको  फिल्म देखने में मज़ा नहीं आएगा। तो फिल्म देखिये और जानिये की आगे क्या होता है इस फिल्म में।


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