नमस्कार दोस्तों,
#MeToo कैंपेन के तहत अनेकों महिला पत्रकारों के द्वारा दुर्व्यवहार एवं उत्पीड़न के आरोपों के बाद केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मोबाशर जावेद यनेकी एमजे अकबर को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। एक वरिष्ठ पत्रकार से राजनीती में आये एवं केंद्रीय मंत्री बने एम् जे अकबर का परत्राकरिता से राजनीति तक का सफर बड़ा ही शानदार रहा. लेकिन मीतू पर महिलाओं डरा लगाए गए दुर्व्यवहार व उत्पीड़न के आरोपों के बाद मंत्रिमंडल व विपक्ष से बन रहे दबाव के चलते उन्हें अपना पद त्यागना पद गया. पर लेकिन दशकों पुराने मामले उजागर होने के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी.
आइये जानते हैं कौन है एम् जे अकबर.
एक समय पर देश के सबसे चर्चित पत्रकार व सम्पादक रहे एम् जे अकबर अब इस देश के सबसे बड़ी हस्तियों में से एक बन चुके हैं. जब से इनपर महिला पत्रकारों द्वारा दुर्व्यवहार व उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है तबसे इनके बारे में पूरा देश जानना चाहता है.11 जनवरी, 1951 को जन्मे एम् जे अकबर अब 67 वर्ष के हो चुके हैं. एमजे अकबर ने 1989 में लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीति में अपना पहला कदम रखा था. उस वक़्त वे कांग्रेस के टिकट पर जीते थे, इसके बाद एक बार फिर से सांसद बने. पाकिस्तान का वर्तमान और भविष्य, नेहरू: द मेकिंग ऑफ इंडिया जैसी चर्चित पुस्तकों के लेखक हैं एमजे अकबर. एशियन एज, डेक्कन क्रॉनिकल, इंडिया टुडे और द टेलीग्राफ जैसे बहुचर्चित और नामी मीडिया संस्थानों में संपादक रह चुके हैं.
साल 1991 में भले ही एम् जे अकबर चुनाव जीते थे, पर जितने बाद राजनीति को इतनी जल्दी समझ पाना उनके लिए मुंकिन नहीं हुआ और वे ज्यादा दिनों तक राजनीति में टिक नहीं पाए और वापस पत्रकारिता के क्षेत्र में चले गए. 2014 में एक बार फिर देश के राजनितिक गलियारों में उनका नाम शुमार हुआ जब वे कांग्रेस का दमन छोड़ कर बीजेपी के साथ जुड़ गए. इसके बाद 2015 में बीजेपी ने एम् जे अकबर को राज्यसभा में भेजा. 5 जुलाई, 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया, लेकिन #MeToo कैंपेन के तहत लगे इल्ज़ामों के चलते उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा.
एम् जे अकबर पर लगे आरोपों को इसलिए भी गंभीरता से लिया जा रहा है क्योंकि उनपर अबतक जितनी भी महिलाओं ने आरोप लगाए हैं वे कोई आम हस्ती नहीं बल्कि वरिष्ठ पत्रकारों की श्रेणी में आते हैं और एक समय एम् जे अकबर के साथ काम भी कर चुके हैं. उनपर सबसे पहला आरोप वरिष्ठ पत्रकार प्रिय रमानी ने लगाया जो की कभी एम् जे अकबर की असिस्टेंट हुआ करती थी.
एम् जे अकबर अपना पद खो चुके हैं और अब खुदपर लगे आरोपों के दाग धोने के लिए क़ानून का सहारा ले रहे हैं. अब देखना ये है की इस कानूनी जंग में जीत किसकी होती है.
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