आरक्षण, मानवता पर पांच हजार साल पुराना कलंक


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नमस्कार,
दोस्तों आरक्षण एक ऐसा शब्द है जिसका नाम लेते ही माहौल गरमा जाता है. हर नेता चाहे वह राजनीती में नया हो या पुराना, इस मुद्दे की ताकत को अच्छी तरह पहचानता है. और इसका फायदा उठाना भी जानता है. जितना बड़ा मुद्दा बाबरी मस्जिद या अयोध्या राम मंदिर का है उतना ही बड़ा मुद्दा आरक्षण का है.
राजनीती का और नेताओं का पूरा भविष्य इन्ही दो मुद्दों पर हमेशा से टिका रहा है और टिका रहेगा. क्योंकि इस मुद्दे को ख़त्म करने की चाह किसी भी नेता में नहीं. अगर ये मुद्दे ख़त्म हो गए तो नेताओं की दाल रोटी चलनी बंद हो जायेगी.
मित्रों, जैसे आज एस टी , एस सी और ओ बी सी के लिए बाबा साहब आंबेडकर के निर्देश अनुसार समाज, रोजगार और संविधान में कुछ स्थान सुरक्षित है जिसे हम आरक्षण कहते है ठीक उसी प्रकार जब ब्राम्हणों ने मनुवाद बनाया तो सारे विशेष अधिकार ब्राम्हण और क्षत्रियों को मिला जो की स्वयं को ऊँची जाती घोसित कर अन्य दो जाती पर अत्याचार करना अपना अधिकार समझते थे और आज भी समझते हैं.
आइये जानते हैं की इन्हे किस प्रकार के अधिकार प्राप्त थे. 
१. मंदिरों में केवल ब्राम्हण ही पुजारी हुआ करते थे और केवल क्षत्रियों को ही मंदिर में जाने की इजाजत हुआ करती थी अन्य दो जाती शूद्र और वैश्य के जाने से मंदिर अपवित्र हो जाता था. उन्हें कोड़े मारने और प्रताड़ित करने से भगवान् प्रशंन्न होते हैं ऐसा इन मनुवादियों का मानना है. 
२. शिक्षा का अधिकार केवल ब्राम्हण और क्षत्रियों को था.
३. केवल क्षत्रिय ही शाशक बन सकता था. शूद्र और वैश्य को चाहे वह कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो उसे केवल सेवक बनकर रहने का आदेश था.
४. शूद्र और वैश्य को नंगे पांव रहने के लिए कहा जाता था. और क्षत्रिय एवं ब्राम्हण के सामने मुँह छुपा कर रहना पड़ता था.
५. शूद्र एवं वैश्य को राज्य के किसी भी ऐसे जल श्रोत से पानी पिने की मनाही थी जिसमे क्षत्रिय और ब्राम्हण पानी पीते हों. 
अब आप ही बताइए की सबसे बड़ा आरक्षण किनको मिला हुआ है. बाबा साहब ने इसी असंतुलन को ख़त्म करने के लिए संविधान में एस टी , एस सी और ओ बी सी, जिन्हे ये छोटी जाती कहते हैं के लिए आरक्षण का अधिकार दिया ताकि इन्हे समानता का अधिकार दिया जा सके. 
बड़ी हसी की बात है की जो लोग 5000 सालों से आरक्षण का सुख भोग रहे हैं वो शोषित वर्ग को मिल रहे आरक्षण के कुछ प्रतिशत से ही केवल 60 साल में ही घबरा गए. जबकि खुद सौ प्रतिशत आरक्षण का सुख शदियों से भोगते आ रहे हैं.इसी से सिद्ध होता है की खुद को ऊँची जाती कहने वाले इन कथित छोटी जाती वालों से कितना कमजोर है.
पर हम अब भी उन ऊँची जाती वालों को खुली चुनौती देते हैं की आप जातिवाद छोड़ दो हम आरक्षण छोड़ देंगे. धन्यवाद्.

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