नमस्कार दोस्तों ,
आजकल के इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में हमारी बदलती जीवन शैली के साथ हमारे खान पान का तरीका भी बदल चूका है, जिसका परिणाम हमारी सेहत पर बहोत ही बुरा पड़ता है. पर हम चाह कर भी इससे बच नहीं सकते क्योंकि हमारी दिनचर्या इतनी फ़ास्ट हो गयी है की हमारे पास इतना भी समय नहीं की अपने सेहत के बारे में सोच सके और इसका ख्याल रख सकें. हमने जितनी ज्यादा तरक्की की है उतने नए नए बिमारिओं का भी आगमन इंसानो के शरीर में होते जा रहा है. अधिकतर बीमारियां ऐसी है जिनका एक मात्र इलाज़ ऑपरेशन ही होता है. और फिर हमें अपने शरीर के उस हिस्से को हमेशा हमेशा के लिए खोना पड़ता है.
दोस्तों आज मैं ऐसे ही एक बेहद ही तकलीफ दायक बीमारी के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसका नाम है पथरी अर्थात स्टोन. पथरी की शिकायत अधिकतर किडनी या गॉलब्लेडर में होती है और जिसे भी पथरी की शिकायत होती है उसे शरीर के उस हिस्से में बहोत ही असहनीय दर्द महसूस होता है. साथ ही नित्य कर्म में भी काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है.
दोस्तों एलोपैथी में पथरी का एक ही इलाज़ है वो है ऑपरेशन . हलाकि कुछ दवाइयों से कोशिश की जाती है की पथरी गल कर बाहर आजाये पर ऐसा बहोत ही कम हो पाता है.दोस्तों पथरी अक्सर कैल्शियम युक्त भोजन दैनिक रूप से लेने या कैल्शियम की गोली के सेवन से होता है. पथरी की समस्या अधिकतर महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है क्योंकि उन्हें प्रेगनेंसी के दौरान निरंतर कैल्शियम की गोली खाने को दी जाती है जिसका साइड इफेक्ट उन्हें बाद में पथरी के रूप में भुगतना पड़ता है. पर ऐसा हमेशा और सभी के होगा ऐसा नहीं है.पथरी की बीमारी बड़ों एवं बच्चों दोनों को हो सकता है.
जिन्हे पथरी होती है उन्हें ऐसी सब्जियां खाने की मनाही होती है जिसमे कैल्शियम की अधिकता हो जैसे की गोभी प्रजाति की सब्जी एवं पालक की भाजी. या दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं की वे व्यक्ति जो गोभी प्रजाति की सब्जी या पालक की शब्जी नियमित रूप से कहते हैं उनमे पथरी होने की सम्भावना अधिक होती है.
दोस्तों भले ही एलोपैथी में पथरी का कोई सटीक इलाज न हो पर आयुर्वेद की मदद से पथरी को जड़ से ख़त्म किया जा सकता है वो भी बिना ऑपरेशन के. हमारे आस पास बहोत से ऐसी वनस्पति मौजूद है जो अपने अंदर ढेर शारी चमत्कारी औषधीय गुण रखते हैं पर हमें उनकी जानकारी नहीं होती, आज मै ऐसे ही दो वनष्पति के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसके इक्कीस दिनों तक नियमित सेवन से आप पथरी की बीमारी से पूरी तरह मुक्त हो सकते हैं. यह औषधि पथरी को जड़ से मिटाने की शक्ति रखती है. आप सभी ने इसे अपने आस पास देखा होगा और कइयों ने तो इसे सजावटी पौधे के रूप में अपने बगीचे में भी लगा रखा होगा.
मै जिस वनष्पति की बात कर रहा हूँ उसका नाम है पथ्थर चट्टा. इस पौधे की खासियत यह है की इसके पत्तों से ही नए पौधे उग आते हैं. इसके पत्ते मोटे और स्पंजी होते हैं.दूसरा है कुल्थी की दाल. जो की आयुर्वेदिक दूकान में आसानी से मिल जाती है.
उपयोग करने की विधि :
पथ्थर चट्टा के ढाई पत्ते रोज सुबह खाली पेट इक्कीस दिनों तक खाने से पथरी गल कर मल मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाती है. फिर भी इक्कीस दिनों के बाद एक बार फिर से सोनोग्राफी करा कर तसल्ली कर लेना चाहिए.
कुल्थी की दाल २० ग्राम लेकर उसमे एक गिलास पानी मिला लें, अब उसे तब तक उबालें जब तक की पानी की मात्रा एक कप न हो जाये. अब पानी को ठंडा होने के लिए रख दें, जब यह सूप पूरी तरह ठंडा हो जाये तो उसमे एक आधा नीबू निचोड़ लें. अब इस सूप को छानकर पि लें. ऐसा २१ दिनों तक खली पेट करें.
ऊपर दिए दोनों उपाए नियमित रूप से अपनाने पर पथरी पूरी तरह गल जायेगी.
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